आयुर्वेद का आहार विज्ञान: क्या, कब और कैसे खाएं?

आजकल जो हम खा रहे हैं वो सिर्फ पेट भरने के लिए खा रहे हैं, जो आहार हम लेते हैं वो ना तो हमारे शरीर के लिए सही है और ना ही हमारे मन के लिए।

आयुर्वेद के अनुसार अच्छा आहार ही सबसे बड़ी औषधि है। आप जो भी खाते हो वो आपके शरीर का हिस्सा बन जाता है। इस लिए आपके भोजन का चयन बेहतरीन होना चाहिए। 


उदाहरण के लिए: अगर आप चाहते हैं कि आपकी गाड़ी अच्छी तरह से चले तो उसके लिए आपको उस गाड़ी में सबसे बेहतरीन ईंधन भरना होगा, तभी वह गाड़ी सालों साल बेहतरीन ढंग से चल पाएगी। ठीक इसी प्रकार आपको आपके शरीर का ध्यान रखना होगा।

अगर आप सही समय पर, सही ढंग से और संतुलित मात्रा में भोजन करते हैं तो आप जीवन में कभी बीमार नहीं पड़ेंगे और आपको कभी भी डॉक्टर का चेहरा नहीं देखना पड़ेगा।

इस लेख में हम जानेंगे कि आयुर्वेद के अनुसार आपको क्या खाना चाहिए, कब खाना चाहिए और कैसे खाना चाहिए, ताकि आप एक स्वस्थ और लंबी आयु पा सकें।

क्या खाएं? (आयुर्वेदिक आहार के सिद्धांत)

भोजन केवल पेट भरने का जरिया नहीं होना चाहिए, आपका भोजन ऐसा होना चाहिए, जोकि आपको भरपूर पोषण दे, रोगों से बचाए, और आपके शरीर एवं मन को बेहतर बनाए। 

आयुर्वेद के अनुसार आपके भोजन में 6 रस अवश्य होने चाहिए। 

1. मधुर (मीठा) - मधुर रस मुख्य रूप से आपको बल और पोषण प्रदान करता है। जैसे - दूध, घी, शहद, खजूर, चावल, गेहूं आदि।

2. अम्ल (खट्टा) - अम्ल रस आपकी पाचन शक्ति को बढ़ाता है। जैसे - आंवला, नींबू, दही, इमली आदि इस प्रकार के भोजन।

3. लवण (नमकीन) - यह रस इलेक्ट्रोलाइट संतुलन के लिए और आपके मूड को सही रखने के जरूरी है। उदाहरण के लिए सेंधा नमक या पहाड़ी नमक।

4. कटु (तीखा) - यह रस आपके मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के लिए आवश्यक है। भोजन के उदाहरण - अदरक, मिर्च और काली मिर्च आदि।

5. तिक्त (कड़वा) - यह रस एक तरह से आपके शरीर की सफाई करता है। जैसे - करेला, हल्दी और नीम आदि।

6. कषाय (कसैला) - कषाय रस मुख्य रूप से आपके वात दोष को संतुलित रखने में मदद करता है। आहार के उदाहरण - अमरूद, त्रिफला, हरी पत्तेदार सब्जियां आदि।

ध्यान दें - 

हमेशा सात्विक भोजन ग्रहण करें।

जितना हो सके उतना जंक फूड, ज्यादा प्रोसेस्ड फूड, और अधिक ठंडे पदार्थों से दूर रहें।

हमेशा अपनी प्रकृति के हिसाब से आहार का चयन करें।

और सदैव मौसम के अनुसार भोजन को बदल दें। जैसे सर्दियों में गर्म तासीर वाले पदार्थ और गर्मियों में ठंडी तासीर वाले पदार्थ लें।

कब खाएं? (भोजन का सही समय)

सुबह (6-10 बजे)

सुबह अच्छा पोषण से भरा हुआ भोजन करें, लेकिन ज्यादा गरिष्ठ भोजन ना लें।

 दोपहर (12-2 बजे)

दिन के इस समय पाचन शक्ति सबसे तेज़ होती है, इसलिए इस समय आप पोषण से भरपूर भोजन करें इस समय आप भारी अर्थात् गरिष्ठ भोजन भी कर सकते हैं। भोजन के उदाहरण - दाल, चावल, रोटी, सब्जी, घी, छाछ)

रात (6-8 बजे) – 

सूरज ढलने के बाद पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है, इसलिए इस समय हल्का खाना खाएं (खिचड़ी, सूप, दाल)।

रात को दूध लेना फायदेमंद होता है।

ध्यान दें - 

भोजन के बीच कम से कम 4 घंटे का अंतराल जरूर रखें।

हमेशा भूख लगने पर ही खाएं। 

रात का खाना सोने से लगभग 3 घंटे पहले खा लें।

कैसे खाएं? (भोजन करने का सही तरीका)

ध्यान लगाकर और सात्विक विचारों के साथ आहार लें - भोजन करते समय टीवी, मोबाइल आदि ना देखें। साथ ही भोजन करते समय आपके विचार अच्छे होने चाहिए।

भोजन को चबा चबाकर खाएं। भोजन को तब तक चबाएं जब तक वह अपने आप आहार नाल में ना चला जाएं।

भोजन जमीन पर बैठकर खाएं, इससे आपके पाचन में सुधार होगा।

हमेशा ताजा खाना खाएं, कभी भी बासी या फ्रिज में रखा हुआ ना खाएं। बासी भोजन आपकी सेहत के लिए नुकसानदायक होता है।

खाने के तुरंत बाद पानी ना पीएं। अगर जरूरत हो तो भोजन के बीच एक या दो घूंट पी सकते हैं।

भोजन के 1 घंटे बाद पानी पीना आपके लिए फायदेमंद होगा।

निष्कर्ष -

भोजन में सभी रसों को शामिल करें।

समयानुसार भोजन करें - सबसे भारी भोजन दोपहर में करें और सबसे हल्का भोजन शाम को करें।

भोजन हमेशा ध्यान लगाकर, अच्छे विचारों के साथ और चबा चबाकर करें।

हमेशा ताजा और प्राकृतिक भोजन को महत्व दें।

अगर आप सही समय पर, सही ढंग से, और संतुलित आहार लेते हैं, तो आप कभी भी बीमार नहीं पड़ेंगे, और आप लंबी आयु प्राप्त कर पाएंगे।

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