आयुर्वेद के मुख्य ग्रंथ
किसी समय पर आयुर्वेद के बहुत सारे ग्रन्थ और संहिताएँ मौजूद थी। लेकिन भारत पर हुए बाहरी आक्रमणों में बहुत सारे ग्रन्थ सम्पूर्ण रूप से नष्ट हो गए, और कुछेक ग्रंथों के कुछ पृष्ठ और अध्याय नष्ट हो गए। लेकिन ऐसा नहीं है की अब हमारे पास कोई ग्रन्थ नहीं बचा, अब भी हमारे पास काफी आयुर्वेदिक ग्रन्थ मौजूद हैं। उनमें से कुछ मुख्य ग्रंथों के नाम इस प्रकार हैं : चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, कश्यप संहिता, अष्टांगहृदयम, अष्टांग संग्रह, भेल संहिता, हारीत संहिता, शारंगधर संहिता, भैसज्यरत्नावली, भावप्रकाश, भोजनकुतूहलम, माधव निदान, योग रत्नाकर, अभिधान रत्नमाला, धन्वंतरि निघण्टु, मदनपाल निघण्टु और राज निघण्टु आदि।
अब इन ग्रंथों में से कुछेक आयुर्वेदिक ग्रंथों को दो भागों में बांटा गया है : बृहत्रयी और लघुत्रयी।
बृहत्रयी
ऊपर बताये गए ग्रंथों में से तीन ग्रन्थ या संहिताएं सबसे महत्त्वपूर्ण हैं : चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, एवं अष्टांगहृदयम। ये तीनों संहिताएं आपको लगभग सम्पूर्ण आयुर्वेद का ज्ञान करने के लिए काफी हैं। इन्हे आयुर्वेद के बृहत्रयी ग्रन्थ कहा जाता है। क्योंकि ये तीनो संहिताएं आपको सबसे अधिक एवं सबसे सटीक ज्ञान प्रदान करती हैं। अब जिनको आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त करना हो, तो उन्हें इन तीनों ग्रंथों का अध्ययन अवश्य ही करना चाहिए।
आयुर्वेद के सभी ग्रंथों में, ये तीनों संहिताएं सबसे बड़ी हैं, और अगर आपको आयुर्वेद के बाकी ग्रंथों में आयुर्वेद के नियमों में कुछ मतभेद मिले तो, आपको इन्हीं तीनों संहिताओं में बताये गए नियमों को प्राथमिकता देनी चाहिए और उनका पालन करना चाहिए। अब इन तीनों संहिताओं के बारे में थोड़ा गहराई से जानते हैं।
चरक संहिता
चरक संहिता आयुर्वेद का सबसे मुख्य ग्रन्थ है। यह ग्रन्थ महर्षि अग्निवेश द्वारा लिखा गया था. लेकिन बहरी आक्रमणों के कारण यह ग्रन्थ बिखर सा गया था, लेकिन बाद में महर्षि चरक ने इसे व्यवस्थित ढंग से संकलित किया एवं इसमें कुछ और अध्याय भी जोड़े। तो इसी वजह से आगे चलकर इसका नाम महर्षि चरक के नाम पर पड़ गया या रखा गया।
यह संहिता आपको लगभग सभी प्रकार की जड़ी-बूटियों, बिमारियों एवं बिमारियों के उपाय के बारे में जानकारी प्रदान करती है। इस ग्रन्थ का अध्ययन करने से आप स्वयं को बिमारियों से बचा सकते हैं और साथ ही आप दूसरे लोगों की भी मदद कर सकते हैं। इस संहिता में कुल 120 अध्याय हैं।
सुश्रुत संहिता
सुश्रुत संहिता का अध्ययन किए बिना आप एक कुशल वैद्य नहीं बन सकते। यह आयुर्वेद की बेहतरीन संहिता है। इस संहिता के रचयिता महर्षि सुश्रुत हैं जोकि एक उच्च कोटि के आयुर्वेदिक वैद्य थे। महर्षि सुश्रुत को “फादर ऑफ़ सर्जरी” भी कहा जाता है।
यह ग्रन्थ आपको आयुर्वेद की बेहतरीन जानकारी प्रदान करता है। साथ ही इस संहिता में सर्जरी करने की विधि एवं सर्जरी में प्रयोग होने वाले उपकरणों की भी जानकारी दी गई है। इस संहिता में कुल 186 अध्याय हैं, जोकि अन्य सभी संहिताओं से अधिक हैं।
अष्टांगहृदयम
यह ग्रन्थ आयुर्वेद का हृदय है। चाहे आप एक कुशल वैद्य बनना चाहते हों या अपने आप को स्वस्थ रखना चाहते हों, आपको इस ग्रन्थ का अध्ययन अवश्य ही करना चाहिए। यह ग्रन्थ पुरे आयुर्वेद का निचोड़ है। इस ग्रन्थ के रचयिता महर्षि वाग्भट्ट है। अगर कोई इंसान इसे एक बार पढ़ लेता है तो वह कभी बीमार नहीं होगा, और अगर वह बीमार होता है तो वह अपना इलाज़ स्वयं ही कर लेगा।
अगर आप सभी आयुर्वेदिक ग्रन्थ नहीं पढ़ सकते तो, मैं सभी से यह आग्रह करता हूँ की जीवन में एक बार तो अष्टांगहृदयम को अवश्य पढ़ें, ताकि आप अपने स्वास्थ्य को बरक़रार रख सकें। अष्टांगहृदयम में कुल 120 अध्याय हैं।
लघुत्रयी
लघुत्रयी में आने वाले ग्रन्थ हैं : शारंगधर संहिता, माधवनिदान एवं भावप्रकाश। ये ग्रन्थ ऊपर बताये गए तीनों संहिताओं के बाद आयुर्वेद के महत्वपूर्ण ग्रंथों की श्रेणी में आते हैं। इन ग्रंथों में भी आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक नियम बतलाये गए हैं। अगर हो सके तो इन्हें भी एक बार जरूर पढ़ें।
निष्कर्ष : आयुर्वेद एक सम्पूर्ण जीवन शास्त्र है इसमें एक स्वस्थ जीवन जीने के लिए महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं। मेरे हिसाब से सभी को आयुर्वेद के नियमों में विशेष रूचि रखनी चाहिए, जिससे की आप एक स्वस्थ जीवन जी सकें।
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